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राहुल गांधी के बयान पर सियासी बवाल: "ट्रंप के दावों को तूल देकर सेना का अपमान कर रहे हैं कांग्रेस नेता!" (Rahul Gandhi Narendra Modi Political Controversy)

  • Rajkamal Gupta
  • 3 hours ago
  • 3 min read
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नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देने की चुनौती दिए जाने के बाद, देश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी से 'ऑपरेशन सिंदूर' और "7 विमान मार गिराए जाने" के ट्रंप के दावों पर चुप्पी तोड़ने और "जवाब देने का साहस" दिखाने को कहा।

​इस बयान पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, और राहुल गांधी पर गैर-जिम्मेदाराना राजनीति करने और देश की सेना का मनोबल तोड़ने का आरोप लगाया है।


राहुल गांधी के 'डरिए मत' वाले बयान पर तीखा पलटवार

​राहुल गांधी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट (X) में दक्षिण कोरिया में ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए लिखा था कि ट्रंप एक के बाद एक देश में मोदी का अपमान कर रहे हैं और उन्होंने व्यापार का डर दिखाकर मोदी को 'ऑपरेशन सिंदूर' रोकने पर मजबूर किया था।

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बीजेपी की ओर से आलोचना (Criticism of Congress/Rahul Gandhi):

​बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ताओं और नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को 'शर्मनाक' और 'राजनीतिक अपरिपक्वता' का प्रतीक बताया है।

  • सैन्य मनोबल तोड़ने का आरोप: बीजेपी प्रवक्ता ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "राहुल गांधी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए विदेशी नेताओं के निराधार बयानों को महत्व देकर देश की सेना के मनोबल को तोड़ने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस को समझना चाहिए कि इस तरह के बयानों से देश के दुश्मनों को बल मिलता है।"

  • गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी: बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस नेता जानबूझकर उन दावों को तूल दे रहे हैं, जिन्हें भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले को घटिया राजनीति के स्तर पर ले जाने का प्रयास है।

  • प्रमाणहीनता: सत्ता पक्ष ने सवाल उठाया कि "ऑपरेशन सिंदूर" को रुकवाने या "7 विमानों" के गिराए जाने के झूठे दावों को बिना किसी प्रमाण के बार-बार दोहराना देश के हितों के साथ खिलवाड़ है।

(Rahul Gandhi Narendra Modi Political Controversy)

​"राहुल गांधी यह भूल जाते हैं कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता पर लिया गया हर फैसला भारत सरकार का होता है, न कि किसी विदेशी व्यापारिक समझौते के दबाव का। उनका बयान पाकिस्तान की भाषा बोलता है।" - (एक संभावित बीजेपी नेता का बयान)


सरकार का स्पष्ट रुख दोहराया गया

​सरकार के करीबी सूत्रों ने राहुल गांधी की टिप्पणी को खारिज करते हुए दोहराया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के बयान उनके घरेलू राजनीतिक दर्शकों के लिए थे।

  • द्विपक्षीय मामला: सूत्रों ने फिर स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की समझ पूरी तरह से द्विपक्षीय (bilateral) थी। पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा शांति स्थापित करने के अनुरोध पर ही यह कार्रवाई रोकी गई थी।

  • बाहरी हस्तक्षेप की अस्वीकृति: भारत सरकार ने बार-बार यह रुख अपनाया है कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसलों में किसी भी तीसरे देश का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी संसद में स्पष्ट किया था कि किसी भी वैश्विक नेता ने भारत के ऑपरेशन को रोकने की बात नहीं कही थी।

​राहुल गांधी के इस आक्रामक बयान ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को राजनीतिक अखाड़े में खींच लिया है। जहां कांग्रेस इसे पीएम मोदी की कथित कमजोरी के रूप में पेश कर रही है, वहीं बीजेपी इसे विपक्षी दल द्वारा भारतीय सेना की बहादुरी और देश की विदेश नीति पर सीधा हमला बताकर खारिज कर रही है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या प्रधानमंत्री स्वयं इस बार ट्रंप के दावों पर कोई कड़ा और सीधा जवाब देते हैं या नहीं।

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